अर्जुन उवाच
अथ केन प्रयुक्तोऽयं पापं चरति पूरुषः।
अनिच्छन्नपि वार्ष्णेय बलादिव नियोजितः।।3.36।।
arjuna uvācha atha kena prayukto ’yaṁ pāpaṁ charati pūruṣhaḥ anichchhann api vārṣhṇeya balād iva niyojitaḥ
।।3.36।। अर्जुन बोले - हे वार्ष्णेय ! फिर यह मनुष्य न चाहता हुआ भी जबर्दस्ती लगाये हुएकी तरह किससे प्रेरित होकर पापका आचरण करता है?
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