अर्जुन उवाच
संन्यासं कर्मणां कृष्ण पुनर्योगं च शंससि।
यच्छ्रेय एतयोरेकं तन्मे ब्रूहि सुनिश्िचतम्।।5.1।।
arjuna uvācha sannyāsaṁ karmaṇāṁ kṛiṣhṇa punar yogaṁ cha śhansasi yach chhreya etayor ekaṁ tan me brūhi su-niśhchitam
।।5.1।। अर्जुन बोले -- हे कृष्ण ! आप कर्मोंका स्वरूपसे त्याग करनेकी और फिर कर्मयोगकी प्रशंसा करते हैं। अतः इन दोनों साधनोंमें जो एक निश्चितरूपसे कल्याणकारक हो, उसको मेरे लिये कहिये।
Made with ❤️ by a Krishna-Bhakt like you! हरे कृष्ण