येषामर्थे काङ्क्षितं नो राज्यं भोगाः सुखानि च।
त इमेऽवस्थिता युद्धे प्राणांस्त्यक्त्वा धनानि च।।1.33।।
yeṣhām arthe kāṅkṣhitaṁ no rājyaṁ bhogāḥ sukhāni cha ta ime ’vasthitā yuddhe prāṇāṁs tyaktvā dhanāni cha
।।1.33।। जिनके लिये हमारी राज्य, भोग और सुखकी इच्छा है, वे ही ये सब अपने प्राणों की और धन की आशा का त्याग करके युद्ध में खड़े हैं।
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