शुक्लकृष्णे गती ह्येते जगतः शाश्वते मते।
एकया यात्यनावृत्तिमन्ययाऽऽवर्तते पुनः।।8.26।।
śhukla-kṛiṣhṇe gatī hyete jagataḥ śhāśhvate mate ekayā yātyanāvṛittim anyayāvartate punaḥ
।।8.26।। क्योंकि शुक्ल और कृष्ण -- ये दोनों गतियाँ अनादिकालसे जगत्-(प्राणिमात्र-) के साथ सम्बन्ध रखनेवाली मानी गई हैं। इनमेंसे एक गतिमें जानेवालेको लौटना नहीं पड़ता और दूसरी गतिमें जानेवालेको लौटना पड़ता है।
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