सत्त्वात्सञ्जायते ज्ञानं रजसो लोभ एव च।प्रमादमोहौ तमसो भवतोऽज्ञानमेव च।।14.17।।
sattvāt sañjāyate jñānaṁ rajaso lobha eva cha
pramāda-mohau tamaso bhavato ’jñānam eva cha
।।14.17।।सत्त्वगुणसे ज्ञान और रजोगुणसे लोभ आदि ही उत्पन्न होते हैं; तमोगुणसे प्रमाद, मोह एवं अज्ञान भी उत्पन्न होता है।