मनःप्रसादः सौम्यत्वं मौनमात्मविनिग्रहः।भावसंशुद्धिरित्येतत्तपो मानसमुच्यते।।17.16।।
manaḥ-prasādaḥ saumyatvaṁ maunam ātma-vinigrahaḥ
bhāva-sanśhuddhir ity etat tapo mānasam uchyate
।।17.16।।मनकी प्रसन्नता, सौम्य भाव, मननशीलता, मनका निग्रह और भावोंकी शुद्धि -- इस तरह यह मन-सम्बन्धी तप कहा जाता है।