तत्सदिति निर्देशो ब्रह्मणस्त्रिविधः स्मृतः।ब्राह्मणास्तेन वेदाश्च यज्ञाश्च विहिताः पुरा।।17.23।।
oṁ tat sad iti nirdeśho brahmaṇas tri-vidhaḥ smṛitaḥ brāhmaṇās tena vedāśh cha yajñāśh cha vihitāḥ purā
।।17.23।। ऊँ, तत् और सत् -- इन तीनों नामोंसे जिस परमात्माका निर्देश किया गया है, उसी परमात्माने सृष्टिके आदिमें वेदों, ब्राह्मणों और यज्ञोंकी रचना की है।
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