यत्तु कृत्स्नवदेकस्मिन्कार्ये सक्तमहैतुकम्।अतत्त्वार्थवदल्पं च तत्तामसमुदाहृतम्।।18.22।।
yat tu kṛitsna-vad ekasmin kārye saktam ahaitukam atattvārtha-vad alpaṁ cha tat tāmasam udāhṛitam
।।18.22।।किंतु जो (ज्ञान) एक कार्यरूप शरीरमें ही सम्पूर्णके तरह आसक्त है तथा जो युक्तिरहित, वास्तविक ज्ञानसे रहित और तुच्छ है, वह तामस कहा गया है।
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