बुद्धिर्ज्ञानमसंमोहः क्षमा सत्यं दमः शमः।
सुखं दुःखं भवोऽभावो भयं चाभयमेव च।।10.4।।
buddhir jñānam asammohaḥ kṣhamā satyaṁ damaḥ śhamaḥ sukhaṁ duḥkhaṁ bhavo ’bhāvo bhayaṁ chābhayameva cha
।।10.4 -- 10.5।। बुद्धि, ज्ञान, असम्मोह, क्षमा, सत्य, दम, शम, सुख, दुःख, भव, अभाव, भय, अभय, अहिंसा, समता, तुष्टि, तप, दान, यश और अपयश -- प्राणियोंके ये अनेक प्रकारके और अलग-अलग (बीस) भाव मेरेसे ही होते हैं।
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