महर्षयः सप्त पूर्वे चत्वारो मनवस्तथा।
मद्भावा मानसा जाता येषां लोक इमाः प्रजाः।।10.6।।
maharṣhayaḥ sapta pūrve chatvāro manavas tathā mad-bhāvā mānasā jātā yeṣhāṁ loka imāḥ prajāḥ
।।10.6।। सात महर्षि और उनसे भी पूर्वमें होनेवाले चार सनकादि तथा चौदह मनु -- ये सब-के-सब मेरे मनसे पैदा हुए हैं और मेरेमें भाव (श्रद्धाभक्ति) रखनेवाले हैं, जिनकी संसारमें यह सम्पूर्ण प्रजा है।
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