स्वयमेवात्मनाऽत्मानं वेत्थ त्वं पुरुषोत्तम।
भूतभावन भूतेश देवदेव जगत्पते।।10.15।।
swayam evātmanātmānaṁ vettha tvaṁ puruṣhottama
bhūta-bhāvana bhūteśha deva-deva jagat-pate
।।10.15।। हे भूतभावन ! हे भूतेश ! हे देवदेव ! हे जगत्पते ! हे पुरुषोत्तम ! आप स्वयं ही अपने-आपसे अपने-आपको जानते हैं।