अर्जुन उवाचएवं सततयुक्ता ये भक्तास्त्वां पर्युपासते।येचाप्यक्षरमव्यक्तं तेषां के योगवित्तमाः।।12.1।।
arjuna uvācha evaṁ satata-yuktā ye bhaktās tvāṁ paryupāsate ye chāpy akṣharam avyaktaṁ teṣhāṁ ke yoga-vittamāḥ
।।12.1।।जो भक्त इस प्रकार निरन्तर आपमें लगे रहकर आप-(सगुण भगवान्-) की उपासना करते हैं और जो अविनाशी निराकारकी ही उपासना करते हैं, उनमेंसे उत्तम योगवेत्ता कौन हैं?
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