श्री भगवानुवाच
अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे।
गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः।।2.11।।
śhrī bhagavān uvācha aśhochyān-anvaśhochas-tvaṁ prajñā-vādānśh cha bhāṣhase gatāsūn-agatāsūnśh-cha nānuśhochanti paṇḍitāḥ
।।2.11।। श्रीभगवान् बोले - तुमने शोक न करनेयोग्यका शोक किया है और पण्डिताईकी बातें कह रहे हो; परन्तु जिनके प्राण चले गये हैं, उनके लिये और जिनके प्राण नहीं गये हैं, उनके लिये पण्डितलोग शोक नहीं करते।
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